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कौन नई सी बात हुई है
सबके साथ यही होता है
कोई पा जाता है मंज़िल
कोई आजीवन रोता है
कौन नई सी बात हुई है
सबके साथ यही होता है
कोई पा जाता है मंज़िल
कोई आजीवन रोता है
झूठ हो चाहे जितना सुन्दर
झूठ के होते पाँव नहीं हैं
सच तो चलता रहे निरन्तर
सच की राह में छाँव नहीं हैं
दोनों राह तुम्हारे आगे
बोलो तुम किस राह चलोगी?
सच की राह बहुत लम्बी है
झूठ की राह पे हाथ मलोगी
प्रश्न यही सौ बार उठा है
धागा किसने तोड़ा पहले
इतने दिन तक साथ चले थे
नाता किसने छॊड़ा पहले
-आनन्द.पाठक-
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