शुक्रवार, 2 अप्रैल 2021

अनुभूतियाँ 34

 1
सौ सौ नए बहाने होंगे
इन बातों का ,पास तुम्हारे
आने की तो शर्त नहीं थी
चाहे कोई ,तुम्हें पुकारे


 2
आया है रितुराज का मौसम
फूल खिले हैं गुलशन गुलशन
तुम भी भूले से आ जाते
सूना है दिल का यह उपवन


3
कोई मजबूरी तो नहीं है
खुला हुआ यह इक बन्धन है
जब दिल चाहे लौट के आना
स्वागत है प्रिय ! अभिनन्दन है


 4
धरती खींच रही चन्दा को
और चाँद भी खींचा करता
आकर्षण का सरल नियम है
इसमे कोई क्या कर सकता ?

-आनन्द.पाठक-

 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें