अनुभूतियाँ 34
1
सौ सौ नए बहाने होंगे
इन बातों का ,पास तुम्हारे
आने की तो शर्त नहीं थी
चाहे कोई ,तुम्हें पुकारे
2
आया है रितुराज का मौसम
फूल खिले हैं गुलशन गुलशन
तुम भी भूले से आ जाते
सूना है दिल का यह उपवन
3
कोई मजबूरी तो नहीं है
खुला हुआ यह इक बन्धन है
जब दिल चाहे लौट के आना
स्वागत है प्रिय ! अभिनन्दन है
4
धरती खींच रही चन्दा को
और चाँद भी खींचा करता
आकर्षण का सरल नियम है
इसमे कोई क्या कर सकता ?
-आनन्द.पाठक-
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