1
जाओ जिसके साथ है रहना
क़दम क़दम पर साथ निभाना
मेरा शुभ आशीष तुम्हें है
उस से भी ना खेल रचाना
2
शाम ढली सामान समेटॊ
अगला सफ़र अभी है बाक़ी
कितना बाँध सका मुठ्ठी में
एक बार फिर देख ले साथी
3
बीत गई है सारी उमरिया
भाग दौड़ ही करते करते
सुबह शाम बस दिन काटा है
अन्तर्मन से डरते डरते
4
जिस दिन लगे तुम्हे कुछ ऐसा
बहुत हो गया साथ हमारा
उस दिन राह अलग कर लेना
रोएगा ना दिल बेचारा
-आनन्द.पाठक-
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