अनुभूतियाँ 36
1
जो कुछ भी था पास हमारे
किया समर्पित श्रद्धा मन से
क्यों अर्पण स्वीकार नहीं था
रही शिकायत क्या अर्चन से
2
भाव कभी समझी ही नहीं तुम
और न समझी दिल की सीरत
उपहारों में तुमने देखी
उपहारों की क्या थी कीमत
3
आज अचानक हुआ तुम्हें क्या
बरसों का याराना तोड़ा
सुबह-शाम का फूल भेजना
मोबाईल पर आना छोड़ा
4
चाहत को ,एहसास प्यार को
तुमने एक दिखावा समझा
विकल हॄदय के आर्तनाद को
तुमने एक छलावा समझा
-आनन्द.पाठक-
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