शुक्रवार, 2 अप्रैल 2021

अनुभूतियाँ 41

 
1
साथ दिया कब वक़्त ने मेरा
अपनी चाल चली है हरदम
साथ अगर मिलता न तुम्हारा
टूट चुका होता मैं जानम
 
2
लोगों ने कुछ झूठ कहा तो
तुमने सच क्यों मान लिया है
मेरी बात नहीं सुननी है
मन में तुम ने ठान लिया है
 
3
मेरा क्या है, मेरी छोड़ो
होगा वही जो रब की मरजी
तुम से यह उम्मीद नहीं थी
प्यार मुहब्बत में ख़ुदगरजी
 
4
रूप तुम्हारा ही काफी था
और क़यामत क्यों ढाती हो
सुध-बुध अपनी खो देता हूँ
मधुरिम स्वर में जब गाती हो

-आनन्द.पाठक-

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