1
कैसे पूछूँ हाल तुम्हारा ?
कह दोगी –“ क्या तुम से मतलब?’
ख़ार अभी तक खाए बैठी
कौन उसे समझाए ,या रब !
2
मौसम आएँगे,जाएँगे
अब की बार न तुम आओगी
याद तुम्हारी पास रहेगी
दूर कहाँ तक तुम जाओगी
3
दवा आज की ली कि नहीं तुम ?
पूछूँगा तो लगे छलावा
कह दोगी-“ छोड़ो हमदर्दी-
बहुत हो चुका झूठ दिखावा “।
4
मलय-गन्ध से भींगी भींगी
आएगी जब याद तुम्हारी
उतने से ही हो जायेगी
तनहाई गुलजार हमारी
कैसे पूछूँ हाल तुम्हारा ?
कह दोगी –“ क्या तुम से मतलब?’
ख़ार अभी तक खाए बैठी
कौन उसे समझाए ,या रब !
मौसम आएँगे,जाएँगे
अब की बार न तुम आओगी
याद तुम्हारी पास रहेगी
दूर कहाँ तक तुम जाओगी
दवा आज की ली कि नहीं तुम ?
पूछूँगा तो लगे छलावा
कह दोगी-“ छोड़ो हमदर्दी-
बहुत हो चुका झूठ दिखावा “।
मलय-गन्ध से भींगी भींगी
आएगी जब याद तुम्हारी
उतने से ही हो जायेगी
तनहाई गुलजार हमारी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें