शुक्रवार, 11 जून 2021

अनुभूतियाँ 64

 
253
वादा करना शौक़ तुम्हारा
और निभाना जब हो मुश्किल
झूठे वादे क्यॊ करती हो
राह देखता रहता है दिल
 
254
पल दो पल का मिलना क्या था
जीवन भर का दर्द मिला है
बेहतर होता ना ही मिलते
जब मिलने का यही सिला है
 
255
साथ छोड़ कर यूँ जाने की
क्यों इतनी जल्दी थी जानम!
जीवन भर की बात हुई थी
साथ निभाने को थी हमदम!
 
256
मेरे प्रश्नों का कब उत्तर
देती हो तुम मन से खुलकर
’हाँ, में ’ना” में या चुप हो कर
शब्द प्रकम्पित अधर पटल पर

-आनन्द.पाठक-

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