सोमवार, 21 जून 2021

अनुभूतियाँ 66

 

क़िस्त  66

261
नकली चेहरे  वाले करते
दिल्ली का सत्ता संचालन
नकली सिक्के कर देते हैं
असली सिक्कों का निष्कासन


262
अहम भरा है नस नस उनके
औरों को छोटा समझे वो
अपना सिक्का असली समझें
ग़ैरों का खोटा समझे वो
 
263
हर मौज़ू पर इल्म बाँटते
अपने को बरतर आँके वो
बात अमल की जब आती है
इधर उधर बगलें झाँके वो
 
264
कुएँ का मेढक क्या समझे
उसकी तो बस उतनी दुनिया
उछल रहा है ऐसे मानों
नाप के आया कोई दर्या

-आनन्द.पाठक-

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