मंगलवार, 3 अगस्त 2021

अनुभूतियाँ 70

 क़िस्त 70

277

बात यहाँ की, या कि वहाँ की

बातों में तू शामिल होगा

साँस बाँध कर दौड़ रहा है 

सोच ज़रा क्या हासिल होगा ?


278

नदिया अविरल बहती रहती

नहीं देखती पीछे मुड़ कर

एक कल्पना में जीती है

आनन्दित सागर से जुड़ कर 


279

बात नई वैसे तो नहीं कुछ

पीड़ा है जानी पहचानी

पास जो बैठो,कह लें,सुन लें

अपनी अपनी राम कहानी


280

हाथ मिलाना, मिल कर रहना

कोई मुश्किल काम नहीं है

लेकिन अहं गुरुर आप का

बन जाती दीवार वहीं है 

-आनन्द.पाठक-


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें