मंगलवार, 3 अगस्त 2021

अनुभूतियाँ 71

 क़िस्त 71

281

दर्द बाँटने से, सुनते हैं

मन कुछ हल्का हो जाता है

जख़्म भले जितना गहरा हो

भर कर अच्छा हो जाता है 


282

ऐसी क्या है बात कि जिसको

दुनिया से तुम छुपा रही हो

आँखें सब कुछ कह देती हैं

याद किसी की भुला रही हो


283

तूफ़ाँ में थी कश्ती मेरी 

क्या क्या गुज़री थी इस दिल पर

तुम ने भी तो देखा होगा

और हँस रहे थे साहिल पर


284

सबका अपना दिन होता है

सबकी काली रातें होती

प्यार वफ़ा सब क़स्में वादे

कहने की बस बातें होतीं

-आनन्द.पाठक-


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