क़िस्त 75
297
जीवन क्या है ? ख़ुद ना समझा
लेकिन लाख शिकायत उससे
सफ़र अकेला कैसे कटता
अगर न होती उलफ़त उससे
298
बात ’अना’ की करते रहते
कभी निकल कर बाहर आओ
फिर देखो दुनिया कैसी है
सब की नज़रों में छ जाओ
299
व्यर्थ बह्स क्या करना इस पर
किसने किसको छोड़ा पहले
बात वहीं फिर लौट के आती
किसने दिल को तोड़ा पहले
300
बात नहीं मानोगी मेरी
वही पुरानी जिद,अड़ जाना
छोटी छोटी बातों पर भी
बिना बात मुझ से लड़ जाना
-आनन्द.पाठक-
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