मंगलवार, 3 अगस्त 2021

अनुभूतियाँ 76

 क़िस्त 76

301

एक तमन्ना थी बस दिल में

साथ साथ जो चलते हम तुम

सफ़र हमारा भी कट जाता

और न रहता दिल यह गुमसुम


302

बात भले हो छोटी लेकिन

चुभ जाती जब दिल के अन्दर

टीस हमेशा देती रहती

जाने अनजाने जीवन भर


303

मीठी मीठी यादों की उन

गलियों में अब फिर क्या जाना

छोड़ के जब मैं आ ही गया तो

सपनों से क्या दिल बहलाना


304

सावन आया ,बादल आए

नहीं सँदेशा कोई लाए

क्या क्या तुम पर गुज़री होगी

सोच ,जिया रह रह घबराए


-आनन्द.पाठक-


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