शुक्रवार, 20 अगस्त 2021

अनुभूतियाँ 83

 क़िस्त 83

329

भौगोलिक सीमाओं में कब

बँध पाया है प्यार किसी का

जिसने बनाया हमको, तुमको

यह भी है उपहार उसी का


330

एक तुम्हारा चेहरा ही है

राह दिखाता रहता मुझको

चाहे जितनी भी दुष्कर हो

साथ निभाता रहता----


331

जो कहना है सीधे कह दो

इधर उधर की बातें क्या फिर

दिल जब पत्थर सा हो जाए 

सुखद-दुखद सौगातें क्या फिर


332

डाल डाल पर उड़ उड़ बैठूँ

ऐसा नहीं परिंदा हूँ मैं

एक डाल पर जीना मरना

इसी बात पर ज़िंदा हूँ  मैं


-आनन्द.पाठक-

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