मंगलवार, 31 अगस्त 2021

अनुभूतियाँ 92

 


क़िस्त 92


365

तर्क तुम्हारा अपना होगा

मेरी सफ़ाई कम तो नहीं थी

बात नहीं जब सुनना तुमकॊ

वरना दुहाई कम तो नहीं थी


366

एक कल्पना या कि हक़ीक़त

कौन थी वह ? मालूम नहीं है

लेकिन इतना पता है मुझको

वह इतनी मासूम नहीं है 


367

ख़्वाब था या कि ख़्वाब नहीं था

मैने देखा नहीं नज़र भर

कौन थी वह> मैं पागल होकर

ढूँढ रहा जिसको जीवन भर


368

माँगा था तुम ने कुछ मुझसे

मैं ही था कुछ दे न सका था

शुष्क रेत की एक नदी थी

खेना चाहा खे न सका था 


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