क़िस्त 92
365
तर्क तुम्हारा अपना होगा
मेरी सफ़ाई कम तो नहीं थी
बात नहीं जब सुनना तुमकॊ
वरना दुहाई कम तो नहीं थी
366
एक कल्पना या कि हक़ीक़त
कौन थी वह ? मालूम नहीं है
लेकिन इतना पता है मुझको
वह इतनी मासूम नहीं है
367
ख़्वाब था या कि ख़्वाब नहीं था
मैने देखा नहीं नज़र भर
कौन थी वह> मैं पागल होकर
ढूँढ रहा जिसको जीवन भर
368
माँगा था तुम ने कुछ मुझसे
मैं ही था कुछ दे न सका था
शुष्क रेत की एक नदी थी
खेना चाहा खे न सका था
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