रविवार, 27 अगस्त 2023

अनुभूतियाँ 117/04

 क़िस्त 117/क़िस्त 4

 

465

अगर तुम्हे लगता हो ऐसा

साथ छोड़ना ही अच्छा है

जिसमे खुशी तुम्हारी होगी

मुझे तुम्हारा दिल रखना है

 

466

जा ही रहे हो लेते जाना

टूटा दिल यहसपने सारे

क्या करना अब उन वादों का

तड़पाएँगे साँझ-सकारे ।

 

467

जहाँ रहो तुम ख़ुश रहना तुम

खुल कर जीना हाँसते गाते

अगर कभी

कुछ वक़्त मिले तो

मिलते रहना आते-जाते

 

468

छोड़ गई तुम ख़ुशी तुम्हारी

लेकिन याद तुम्हारी बाक़ी
तुम्हें मुबारक नई ज़िंदगी

मुझको रहने दो एकाकी

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