2122 1212 22
जिंदगी पाएमाल है साहिब
रोज जीना है रोज मरना है
यह भी खुद मे कमाल है, साहिब
अब फरिश्ते कहाँ उतरते हैं
आप का क्या खयाल है साहिब ?
रोशनी देगा या जला देगा-
हाथ उसके मशाल है, साहिब
सिर्फ टी0वी0 पे दिन दिखे अच्छे
मुझको इसका मलाल है साहिब
जिंदगी शौक़ है कि मजबूरी ?
यह भी कैसा सवाल है, साहिब
लोग 'आनन' को हैं बुरा कहते
चन्द लोगों की चाल है साहिब
-आनन्द पाठक-
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें